EPROM और EEPROM में क्या अंतर है?

इस पोस्ट में हम Difference Between EPROM and EEPROM in Hindi में जानेंगे की EPROM और EEPROM में क्या अंतर है?

EPROM और EEPROM में क्या अंतर है?EPROM और EEPROM में क्या अंतर है?

कंप्यूटर की ROM क्या होती है और इसका क्या काम होता हो यह तो हममें से अधिकतर लोगो को पता ही होगा। ROM यानि की Read Only Memory का इस्तेमाल कंप्यूटर को Boot करने के लिए किया जाता है और यह एक non-volatile memory होती है।

ROM को Read Only Memory इसलिए कहा जाता है क्योकि इसके डाटा को आसानी से संशोधित नहीं किया जा सकता है या कभी-कभी बिल्कुल भी नहीं।

आज के समय में कुछ आधुनिक ROM की इनफार्मेशन को रिमूव करके उन्हें दोबारा से Reprogram किया जा सकता है वह EPROM (Erasable Read-Only Memory) और EEPROM (Electrically Erasable Read-Only Memory) हैं।

EPROM और EEPROM की इनफार्मेशन को Reprogram किया जा सकता है लेकिन इसके डेटा को रिमूव करने के लिए विशेष उपकरण की आवश्यकता होती है और उन्हें केवल कुछ ही बार Reprogram कर सकते है।

EPROM और EEPROM दोनों ही इरेज़ेबल हैं और इन्हें रीप्रोग्राम किया जा सकता है, लेकिन फिर भी इनके बीच बुनियादी अंतर यह है कि EPROM की इनफार्मेशन को अल्ट्रा वायलेट किरणों के उपयोग से मिटाया जाता है जबकि EEPROM की इनफार्मेशन को इलेक्ट्रिक सिग्नल का उपयोग करके मिटाया जा सकता है।

इसके आलावा भी EPROM और EEPROM में कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते है जिनको हम Difference Table के माध्यम से नीचे समझेंगे लेकिन उससे पहले हम EPROM और EEPROM किसे कहते है इसको और अच्छे से समझ लेते है।

What is EPROM in Hindi-EPROM किसे कहते है?

EPROM (इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी) भी ROM का एक प्रकार है जिसे वैकल्पिक रूप से Read और Write किया जा सकता है। EPROM का आविष्कार Intel में Dov Frohman द्वारा वर्ष 1971 में किया गया था और EPROM के निर्माण में, MOS ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता है।

हालांकि ROM (रीड-ओनली मेमोरी) और PROM (प्रोग्रामेबल रीड-ओनली मेमोरी) सस्ती हैं लेकिन समय के साथ इन्हें बदलना लागत में इजाफा करता है और इस समस्या को दूर करने के लिए EPROM की शुरुआत की गई।

EPROM एक Nonvolatile मेमोरी है जो सिस्टम के बंद होने या पावर को स्विच करने के बाद भी डेटा को बरकरार रखता है। एक बार प्रोग्राम करने के बाद EPROM अपने डेटा को न्यूनतम 10 वर्ष तक बनाए रखता है। EPROM में कंप्यूटर का BIOS होता है जिसको कंप्यूटर के बूट अप के दौरान उपयोग किया जाता है।

यह एक रीड-ओनली मेमोरी है और इसके अंदर की इनफार्मेशन को सिर्फ पराबैंगनी लाइट के द्वारा मिटाया जा सकता है। EPROM को आसानी से पहचाना जा सकता है क्योंकि इसके चिप के शीर्ष पर एक पारदर्शी quartz crystal window lid होती है।

What is EEPROM in Hindi-EEPROM किसे कहते है?

EEPROM भी ROM का एक प्रकार है जिसका फुलफॉर्म Electrically Erasable Programmable Read-Only Memory है। इस मेमोरी की इनफार्मेशन को रिमूव करने के लिए electric signal का इस्तेमाल किया जाता है।

George Perlegos ने EPROM की तकनीक के आधार पर वर्ष 1978 में EEPROM का आविष्कार किया। EEPROM एक  non-volatile मेमोरी है जो बिजली बंद होने यानि की सिस्टम के अचानक बंद होने पर भी अपनी इनफार्मेशन को बनाए रखती है।

EEPROM का उपयोग कंप्यूटर BIOS के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डेटा की छोटी मात्रा को संग्रहीत करता है। यह PROM और EPROM के लिए एकरिप्लेसमेंट था।

EPROM और EEPROM में क्या अंतर है?

अभी तक ऊपर हमने जाना की EPROM और EEPROM किसे कहते है अगर आपने ऊपर दी गयी सारी चीजे ध्यान से पढ़ी है तो आपको EPROM और EEPROM के बीच क्या अंतर है इसके बारे में पता चल गया होगा।

अगर आपको अब भी EPROM और EEPROM क्या होता है और इसमें क्या अंतर है इसको समझने में में कोई Confusion है तो अब हम आपको इनके बीच के कुछ महत्वपूर्ण अंतर नीचे बताने जा रहे है।

S.NO EPROM EEPROM
1. EPROM में, UV लाइट का उपयोग EPROM की कंटेंट को मिटाने के लिए किया जाता है। EEPROM में कंटेंट को मिटाने के लिए इलेक्ट्रिक सिग्नल का उपयोग किया जाता है।
2. EPROM में टॉप पर एक रॉक क्रिस्टल विंडो शामिल है। EEPROM क्षेत्र इकाई पूरी तरह से एक अपारदर्शी प्लास्टिक केस सील होती है।
3. EPROM में सेल का सापेक्ष आकार एक है। EEPROM में सेल का सापेक्ष आकार 3 है।
4. EPROM PROM का आधुनिक संस्करण है। EEPROM EPROM का आधुनिक संस्करण है।
5. EPROM एक्सटर्नल प्रोग्रामिंग है। EEPROM एक्सटर्नल प्रोग्रामिंग है।
6. एक बार जब EPROM मेमोरी को मिटा दिया जाता है तो इसे फिर से Reprogrammed किया जा सकता है। EEPROM को EPROM की तरह Erase  कर देने के बाद भी reprogrammed किया जाता है।
7. EPROM में प्रयुक्त ट्रांजिस्टर 12.5 वोल्ट की खपत करता है। EEPROM में प्रयुक्त ट्रांजिस्टर 5 वोल्ट का उपभोग करता है।
8. EPROM में, हॉट इलेक्ट्रॉन इंजेक्शन प्रोग्रामिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है। EEPROM में Tunnel effect का उपयोग प्रोग्रामिंग तकनीक के रूप में किया जाता है।
9. EPROM में, मिटाने की सामग्री के लिए एक इरेज़र की खपत 15 से 20 मिनट होती है। EEPROM में कंटेंट को मिटाने के लिए 5 मिलीसेकंड का समय लगता है।
10. कंप्यूटर के BIOS को erase और  reprogram करने के लिए EPROM चिप को कंप्यूटर सर्किट से दूर होना चाहिए। EEPROM चिप को मिटाया जाएगा और कंप्यूटर के BIOS की सामग्री को मिटाने और पुन: उत्पन्न करने के लिए विद्युत सर्किट के भीतर पुन: डिज़ाइन किया जाएगा।

Conclusion

इस पोस्ट में हमने जाना Difference Between EPROM and EEPROM in Hindi की EPROM और EEPROM में क्या अंतर है इसके साथ ही हमने EPROM और EEPROM किसे कहते है इसको भी अच्छे से समझा।

EPROM को ROM और PROM  की जगह पर इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि ROM और PROM सस्ते थे लेकिन समय के साथ उन्हें बदलना लागत को बढ़ा देता था है और Users BIOS की कंटेंट को बदलने में सक्षम नहीं थे इसलिए  ROM और PROM के इन कमियों की वजह से EPROM को विकसित किया गया।

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Ravi Giri
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नमस्कार दोस्तों, मै रवि गिरी Hindi Tech Academy का संस्थापक हूँ, मुझे पढ़ने और लिखने का काफी शौख है और इसीलिए मैंने इस ब्लॉग को बनाया है ताकि हर रोज एक नयी चीज़ के बारे में अपने ब्लॉग पर लिख कर आपके समक्ष रख सकू।

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